Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

चेनाब घाटी में लश्कर मॉड्यूल का भंडाफोड़, 5 गिरफ्तार

Published

on

Loading

जम्मू। जम्मू के चेनाब घाटी इलाके में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के माड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने शनिवार को बताया कि इलाके में आतंकवादी वारदातों में तेजी लाने के उद्देश्य से लश्कर-ए-तैयबा का गठन किया गया था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि छापेमारी में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है और भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए हैं।

एक सूत्र ने बताया कि पिछले सप्ताह डोडो जिले में हुए आतंकवादी हमले में दो विशेष पुलिस अधिकारियों के घायल होने के बाद यह छापेमारी की गई। घायल दोनों अधिकारियों में से बाद में एक की मौत हो गई थी।

डोडा के टांटा पुलिस थाने पर सात मई को हुई गोलीबारी की जांच के लिए डोडा के पुलिस प्रमुख मुहम्मद शाबिर के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की गई थी। एसआईटी ने फोरेंसिक टीम के साथ छापेमारी की।

सूत्र ने बताया, “स्थानीय सूत्रों से मिली खुफिया जानकारी के अनुसार एसआईटी ने कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया। संदिग्धों से पूछताछ के दौरान हुए खुलासे के आधार पर टांटा गांव के निवासी अब्दुल राशिद हरगा उर्फ अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया। अब्दुल्ला 2001 से 2008 के बीच लश्कर का सक्रिय सदस्य रहा, हालांकि बाद में उसने आत्मसमर्पण कर दिया था।”

हरगा ने लगातार पूछताछ के बाद कबूल कर लिया कि गोलीबारी की घटना में वह भी शामिल था और हमले में शामिल अपने दो साथियों का भी खुलासा किया। हरगा की स्वीकारोक्ति के अनुसार, टांटा पुलिस थाने पर हमले में हरगा का छोटा भाई शौकत अली और टांटा का रहने वाला एक अन्य व्यक्ति अख्तर मगरी शामिल थे।

सूत्रों के अनुसार, हरगा प्रादेशिक सेना में सेवा दे चुके बशीर अहमद के संपर्क में था। बशीर अहमद का भतीजा अल्ताफ अहमद डोडा में विशेष पुलिस अधिकारी रह चुका है। बशीर ने ही हमले के लिए अल्ताफ से हथियार का इंतजाम करने के लिए कहा था।

अल्ताफ ने डोडा के जिला पुलिस लाइन से इसी साल जनवरी में एक एके47 राइफल चोरी की और अपने चाचा बशीर को दे दी।

इस बीच हरगा पाकिस्तान में अपने आका और लश्कर के सदस्य मोहम्मद अमीन उर्फ हारून के संपर्क में था।

सूत्र ने बताया, “हारून और चेनाब घाटी में सक्रिय लश्कर के आतंकवादियों के निर्देश पर संगठन से जुड़े नए सदस्यों को गांडोह बेल्ट में सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कहा और सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बनाई।”

सूत्र के अनुसार, “हरगा को सात मई को पता चला कि टांटा पुलिस थाने में सिर्फ दो-तीन पुलिसकर्मी मौजूद हैं, जिसके बाद उसने अपने साथियों के साथ मिलकर पुलिस थाने पर हमला कर दिया।”

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

Published

on

Loading

सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

Continue Reading

Trending