Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

घरेलू विमान यात्रियों की संख्या 23 फीसदी बढ़ी : डीजीसीए

Published

on

Loading

dgca-1_650_072714091302नई दिल्ली | देश के घरेलू विमान यात्रियों की संख्या में साल 2016 में 23.18 फीसदी का इजाफा हुआ और यह 9.99 करोड़ रही। आधिकारिक आंकड़ों से मंगलवार को यह जानकारी मिली।

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने पिछले महीने जारी अपने सांख्यिकीय विश्लेषण में कहा, “जनवरी-दिसंबर 2016 के बीच घरेलू एयरलाइंस से कुल 9.99 करोड़ यात्रियों ने हवाई यात्रा की, जबकि इसके पहले के साल में यह संख्या 8.11 करोड़ थी। इस तरह इसमें कुल 23.18 फीसदी की बढ़ोतरी रही।”

डीडीसीए द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, दिसंबर में घरेलू विमान यात्रियों की संख्या में 23.91 फीसदी की तेजी आई और यह 95.52 लाख रही, जबकि साल 2015 के दिसंबर में यह संख्या 77.09 लाख थी।

नवंबर में घरेलू यात्रियों की संख्या में 22.45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी और यह 89.66 लाख थी।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर में लो कॉस्ट कैरियर (एलसीसी) स्पाइसजेट का पैसेंजर लोड फैक्टर (यात्रियों की संख्या) सबसे ज्यादा 93.7 फीसदी रहा।

स्पाइसजेट के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जी. पी. गुप्ता ने कहा, “हम न सिर्फ सबसे अच्छे ओटीपी (समय पर उड़ान) के मामले में लगातार तीसरे साल शीर्ष पर रहे हैं, बल्कि हमने लगातार 21 महीनों से 90 फीसदी से अधिक पैसेंजर लोड फैक्टर हासिल किया है।”

एलसीसी के मामले में दूसरे नंबर पर बजट एयरलाइंस इंडिगो (91.4 फीसदी) और तीसरे नंबर पर गो एयर (90.7 फीसदी) रही।

आंकड़े से पता चलता है कि बेंगलुरू, दिल्ली, हैदराबाद और मुंबई के चार प्रमुख हवाईअड्डों पर 70 प्रतिशत पंक्चु अलिटी दर के साथ स्पाइसजेट विमानन उद्योग का अगुआ बना हुआ है।

इसके बाद जेट एयरवेज और जेटलाइट (64.3 फीसदी), विस्तारा (64.2 फीसदी), गो एयर (63.6 फीसदी), इंडिगो (61.6 फीसदी) और एयर इंडिया (59 फीसदी) का स्थान आता है।

इस दौरान सबसे ज्यादा उड़ान रद्द करनेवाली एयर लाइंस एयर कोस्टा (13.65 फीसदी), एयर कार्निवल (12.03 फीसदी), ट्रजेट (5.01 फीसदी), इंडिगो (2.83 फीसदी), एयर इंडिया (1.91 फीसदी), जेट एयरवेज (1.77 फीसदी), स्पाइसजेट (1.66 फीसदी), जेटलाइट (1.40 फीसदी), गो एयर (0.79 फीसदी), विस्तारा (0.40 फीसदी) और एयरएशिया इंडिया (0.11 फीसदी) रही हैं।

विमानन नियामक ने अपनी विश्लेषण रपट में कहा, “साल 2016 के दिसंबर महीने में घरेलू एयरलाइंस की उड़ानों को रद्द करने की औसत दर 2.18 फीसदी रही है।”

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

Published

on

Loading

सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

Continue Reading

Trending