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प्रादेशिक

गायत्री को दोबारा मंत्री बनाने के खिलाफ याचिका पर अब चार अक्टूबर को होगी सुनवाई

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HCलखनऊ। बर्खास्तगी के बाद गायत्री प्रजापति को दोबारा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल याचिका पर अब चार अक्टूबर को सुनवाई होगी। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने दाखिल की है।

गायत्री को दुबारा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को लखनऊ खंडपीठ में सुनवाई हुई। याची के अधिवक्ता अशोक पांडेय ने कहा कि अवैध खनन के खिलाफ सीबीआई जांच न कराने के सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा दायर प्रार्थनापत्र चीफ जस्टिस डीबी भोसले की बेंच द्वारा खारिज किया गया लेकिन इसके बाद भी प्रजापति दुबारा मंत्री बना दिए गए। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद जस्टिस श्रीनारायण शुक्ला और जस्टिस अनंत कुमार की बेंच ने इसे चार अक्टूबर को चीफ जस्टिस की बेंच के सामने सुनवाई हेतु नियत कर दिया।

उल्लेखनीय है कि डॉ. नूतन ठाकुर की याचिका में कहा गया है कि प्रजापति को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए सीबीआई जांच के आदेश और सीबीआई रिपोर्ट के बाद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के कारण मंत्री पद से हटाया गया था। याचिका के अनुसार मंत्री को संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत पद से तब हटाया जाता है जब वे राज्यपाल का विश्वास खो बैठे थे। अत: उन्हें दोबारा तब तक मंत्री नहीं बनाया जा सकता जब तक वे विश्वास खोने के कारणों को दूर नहीं कर लेते।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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