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कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री रिजिजू पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, इस्तीफा मांगा
नई दिल्ली। कांग्रेस ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में एक पनबिजली परियोजना घोटाले में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू की कथित संलिप्तता को लेकर केंद्रीय मंत्रीमंडल से उनके इस्तीफे की मांग की। परियोजना को निपको द्वारा संचालित किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने निपको के मुख्य सर्तकता अधिकारी (सीवीओ) के हवाले से कहा कि घोटाला करीब 450 करोड़ रुपये का है। उन्होंने पूरे मामले की गहनता से जांच कराने की मांग की। सुरजेवाला ने मंगलवार को कहा, मंत्री को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो पारदर्शिता और ईमानदारी की बात करते हैं, उन्हें इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करानी चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा, तब तक प्रधानमंत्री को चाहिए कि वह मंत्री को या तो बर्खास्त कर दें या पद से इस्तीफा देने के लिए कहें। सुरजेवाला ने परियोजना से जुड़े सभी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच की भी मांग की। सुरजेवाला ने कहा, निपको द्वारा संचालित एक परियोजना में एक अभूतपूर्व भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इसे लेकर सार्वजनिक रूप से गंभीर तथ्य मौजूद हैं जो करीब 450 करोड़ रुपये के घोटाले का संकेत दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, सीबीआई ने परियोजना का दो बार औचक निरीक्षण किया, लेकिन एक भी प्राथमिकी दर्ज करने में असफल रही क्योंकि यह मोदी सरकार की कठपुतली बनी हुई है। कांग्रेस ने दावा किया कि ठेकेदारों द्वारा बांधों के निर्माण के लिए चट्टानों के परिवहन के नकली और गलत बिल जमा किए गए। सीवीओ द्वारा इसे साफ तौर पर सामने लाया जा चुका है।
सुरजेवाला ने कहा, जो वाहन परिवहन के लिए इस्तेमाल किए गए, जिनके भुगतान के नाम पर करोड़ों रुपये बनाए गए वे वास्तव में ट्रकों के बजाय स्कूटर, मोटर साइकिल या कार के रजिस्ट्रेशन नंबर थे। कई सारे वाहनों के नंबर फर्जी पाए गए। उन्होंने कहा कि यह सब होने के बीच केंद्रीय मंत्री के भाई गोबोई रिजिजू ने सीवीओ से मुलाकात की। उन्होंने सीवीओ पर उन ठेकेदारों का भुगतान जारी करने का दबाव बनाया जो सवालों के घेरे में थे।
उन्होंने कहा, वह सीवीओ को यह कह कर प्रभावित करने की कोशिश में थे कि यदि वह भुगतान जारी करने में सहयोग करेंगे तो उनके भाई (किरण रिजिजू) अपने पद का इस्तेमाल कर सीवीओ की पदोन्नति सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि यह एक टेप में सामने आया है कि अरुणाचल सरकार उस दौरान गिरा दी गई थी और इसका इस भुगतान से संबंध प्रतीत होता दिख रहा है।
सुरजेवाला ने कहा, इस मामले की गंभीर रूप से जांच होनी चाहिए कि क्या इस भुगतान का इस्तेमाल विधायकों की खरीद-फरोख्त में किया गया था। उन्होंने कहा, मंत्री द्वारा अपने भाई के लिए भुगतान को प्रभावित करने की रिपोर्ट के आधार पर एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। मंत्री को एक दिन के लिए भी गृह राज्य मंत्री के तौर पर पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। सुजरेवाला का यह आरोप एक राष्ट्रीय दैनिक की एक खबर के बाद आया जिसमें निपको के सीवीओ ने अरुणाचल प्रदेश की जल विद्युत परियोजना में घोटाले का दावा किया है।
हालांकि, रिजिजू ने इस परियोजना में संलिप्तता से जुड़ी दैनिक की रिपोर्ट को एक सुनियोजित खबर करार देते हुए मंगलवार को कहा कि यदि वे (खबर करने वाले) अरुणाचल प्रदेश जाएंगे तो उनकी जूतों से पिटाई होगी। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश में 600 मेगावाट की कामेंग पनबिजली के लिए दो बांधों के निर्माण के लिए ठेकेदार को भुगतान करने के लिए पत्र लिखा था।
नेशनल
दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।
26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।
इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।
इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान
असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।
दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।
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