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कश्मीर में 50वें दिन भी कर्फ्यू, प्रतिबंध जारी

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कश्मीर

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कश्मीरश्रीनगर| कश्मीर घाटी में अलगाववादियों की ओर से आहूत बंद व तनाव तथा हिंसक झड़पों के बीच शनिवार को 50वें दिन भी प्रतिबंध जारी हैं। संघर्ष में मरने वालों की संख्या 70 के पार हो गई है। घाटी में शनिवार को झेलम नदी से एक युवक का शव बाहर निकाला गया, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि सुरक्षा बलों द्वारा खदेड़े जाने के बाद शुक्रवार को उसने नदी में छलांग लगा दी थी।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि शाहनवाज खान (24) का शव दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा क्षेत्र के संगम गांव के पास नदी से निकाला गया। यह स्थान मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का गृहनगर है।

स्थानीय निवासियों का दावा है कि खान उन तीन लोगों में से एक था, जो शुक्रवार शाम प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने पहुंची पुलिस और सुरक्षाकर्मियों से बचने के लिए झेलम नदी में कूद गए थे। माना जा रहा है कि अन्य दो लोग सुरक्षित बच गए।

सीआरपीएफ के प्रवक्ता ने यहां संवाददाताओं को बताया कि सुरक्षाकर्मी पथराव कर रहे प्रदर्शनकारियों को खदेड़ रहे थे। किसी को भी नदी में धकेला नहीं गया। वे खुद ही कूदे। उन्हें देखना चाहिए था कि वह तैर सकते हैं या नहीं।

नाराज भीड़ ने शनिवार को खान के शव के साथ सड़क पर धरना दिया और जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बंद कर दिया। वे सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। घाटी में नौ जुलाई से शुरू हुए इस संघर्षपूर्ण तनाव में अब तक करीब 11,000 लोग घायल हो चुके हैं, जिनमें 7,000 नागरिक और 4,000 सुरक्षा बल शामिल हैं।

पुलिस का कहना है कि शनिवार को श्रीनगर शहर के कुछ हिस्सों में, अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, पल्हालन और अवंतिपुरा कस्बों में कर्फ्यू जारी हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रतिबंध घाटी के बाकी हिस्सों में लागू रहेंगे।”

अलगाववादी नेताओं सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें घर में नजरबंद कर रखा गया था, लेकिन उन्होंने इसकी अवहेलना करते हुए अलगाववादियों के मार्च में शामिल होने की कोशिश की। हालांकि प्रशासन ने मार्च विफल कर दिया।

गिलानी को हालांकि रिहा कर दिया गया, लेकिन मीरवाइज को फिलहाल जेल में ही रखा गया है। सरकार ने अलगाववादी नेताओं पर युवाओं को विरोध प्रदर्शन के लिए भड़काने और सुरक्षा बलों तथा उनके शिविरों पर हमला करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया है।

बंद के कारण सभी दुकानें, परिवहन और अन्य चीजें घाटी में ठप पड़ी हुई हैं। श्रीनगर तथा अन्य शहरों और कस्बों में बाजार कुछ घंटों के लिए खुलते हैं, ताकि लोग जरूरी चीजों की खरीदारी कर सकें। इसके अलावा एक आतंकवादी ने शनिवार को ड्यूटी पर जाते वक्त पुलवामा जिले के कोइल गांव में पुलिस हवलदार खुर्शीद अहमद गनई की हत्या कर दी।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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