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उप्र में कड़ी सुरक्षा के बीच तीसरे चरण का मतदान शुरू
लखनऊ| उत्तर प्रदेश विधासभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत रविवार को मतदान शुरू हो गया है। कड़ी सुरक्षा के बीच 12 जिलों की 69 सीटों पर आज (रविवार) वोट डाले जा रहे हैं। इस चरण में 826 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। शांतिपूर्ण व निष्पक्ष वोटिंग के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी टी. वेंकटेश ने बताया कि इस चरण में 2,41,99,448 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसमें युवा मतदाताओं की संख्या 4,10,117 है जो 18 से 19 वर्ष के बीच है। तीसरे चरण में कुल 1,31,61,155 पुरुष तथा 1,10,37,265 महिला मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक, मतदान सात बजे से शुरू हो गया, जो पांच बजे तक चलेगा। सबसे ज्यादा मतदाता सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र में हैं। इनकी संख्या 4,98,573 है। सबसे कम मतदाता सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में है। यहां कुल 2,72,294 मतदाता हैं।
निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि तीसरे चरण में कुल 16,671 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जबकि मतदेय स्थलों की संख्या 25,607 है। इस चरण में कुल 826 प्रत्याशी मैदान में हैं। इसमें महिला प्रत्याशियों की संख्या 105 है।
निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मतदेय स्थलों पर 3123 डिजिटल कैमरा, 1411 वीडियो कैमरा लगाए गए हैं। 4609 माइक्रो ऑव्जर्वरों की तैनाती की गई है। मतदेय स्थलों की सुरक्षा के लिए 837 कंपनी अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।
उन्होंने बताया कि तीसरे चरण में फरुखाबाद जिले की कायमगंज, अमृतपुर, फरु खाबाद, भोजपुर तथा हरदोई जिले की सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई, गोपामऊ, सांडी, बिलग्राम मल्लावां, बालामऊ, संडीला में मतदान हो रहा है।
कन्नौज की छिबरामऊ, तिरवा, कन्नौज तथा मैनपुरी जिले की मैनपुरी, भोंगांव, किशनी, करहल विधानसभा सीटों पर मतदान शुरू हो गया है। इसके साथ ही इटावा जिले की जसवंतनगर, इटावा, भरथना और औरैया जिले की बिधूना, डिबियापुर, औरैया सीटों पर भी वोट डाले जा रहे हैं।
तीसरे चरण के तहत कानपुर देहात की रसूलाबाद, अकबरपुर रनिया, सिकंदरा, भोगनीपुर तथा कानपुर नगर की बिल्हौर, बिठूर, कल्याणपुर, गोविंदनगर, सीसामऊ, आर्य नगर, कानपुर नगर, कानपुर कैंट, महाराजपुर, घाटमपुर विधानसभा सीट पर मतदान हो रहा है।
उन्नाव जिले की बांगरमऊ, सफीपुर, मोहान, उन्नाव, भगवंत नगर, पुरवा तथा लखनऊ की मलिहाबाद, बख्शी का तालाब, सरोजनीनगर, लखनऊ कैंट, लखनऊ वेस्ट, लखनऊ नॉर्थ, लखनऊ ईस्ट, लखनऊ सेंट्रल, मोहनलालगंज विधानसभा सीट पर मतदान हो रहा है।
बाराबंकी जिले की कुर्सी, रामनगर, बाराबंकी, जैदपुर, दरियाबाद, रुधौली तथा सीतापुर जिले की महोली, सीतापुर, हरगांव, लहरपुर, बिसवां, सेवता, महमूदाबाद, सिधौली, मिश्रिख विधानसभा सीटों पर मतदान शुरू हो गया है।
नेशनल
पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।
जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।
शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।
फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।
दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-
2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा
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