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मुख्य समाचार

उत्तर भारत घने कोहरे की चपेट में, एयरलाइंस व ट्रेनों पर असर, यूपी में कई हादसे

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fogनई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी और उत्तर भारत के कई अन्य राज्यों में गुरुवार सुबह घना कोहरा छाया रहा। ट्रैफिक, ट्रेन और फ्लाइट्स ऑपरेशन पर इसका बुरा असर पड़ा है। तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है।

दिल्ली में न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री अधिक 11.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। भारतीय मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह तडक़े दृश्यता का स्तर 50 मीटर से भी कम था। अधिकारी ने कहा, सुबह हल्के से मध्य कोहरे के साथ दिन में आसमान साफ रहेगा।

विमान सेवाओं पर बुरा असर
दिल्ली और मैंगलौर में कम दृश्यता के कारण जेट एयरेवज और इंडिगो एयरलाइंस की सेवाएं प्रभावित हुईं। दोनों विमान सेवाओं ने यात्रियों को सावधान करने के लिए ट्वीट किया। जेट एयरवेज ने ट्वीट में लिखा, अपनी उड़ान के समय की स्थिति जांच लें।
इंडिगो एयरलाइन्स ने लिखा, दिल्ली में खराब मौसम के कारण हमारी कुछ उड़ानें प्रभावित हुई हैं। मौसम विभाग के अनुसार गुरुवार को अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है। सुबह 8.30 बजे आद्र्रता 98 प्रतिशत दर्ज की गई।

हरियाणा-पंजाब में कोहरे सडक़ व रेल यातायात प्रभावित
हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों में भी गुरुवार सुबह घना कोहरा छाया रहा, जिसका यातायात पर भी असर पड़ा। विभिन्न स्थानों से मिली खबरों के अनुसार, विभिन्न स्थानों पर दृश्यता घटकर 50-200 मीटर रह गई।

हरियाणा के हिसार और उसके आसपास के इलाकों में गुरुवार सुबह घना कोहरा छाया रहा और दृश्यता घटकर 50 से 100 मीटर रह गई। कोहरे के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-1) पर यातायात भी प्रभावित हुआ। हरियाणा में गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर, हिसार, भिवानी, सोनीपत, पानीपत, करनाल और रोहतक जिलों समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कई इलाकों में मध्यम से घना कोहरा छाया रहा।
एनएच-1 पर अंबाला और कुंडली सीमा के बीच कई इलाकों में घना कोहरा छाए रहने की खबरें मिली हैं। कोहरे के कारण कई रेलगाडय़िां भी देरी से चल रही हैं।

पंजाब में अमृतसर, लुधियाना और जालंधर जिलों में कोहरा छाया रहा। हरियाणा और पंजाब में अधिकतर स्थानों पर न्यूनतम तापमान 8-10 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों तक कोहरा छाया रहेगा।

यूपी में हुए हादसे
कोहरे की वजह से गुरुवार को मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर 12 गाडिय़ां आपस में भिड़ गईं। दुर्घटना में एक की मौत हो गई, जबकि 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए। वहीं मऊ के थाना हलधरपुर में शादी से लौटते वक्त कोहरे के कारण एक गाड़ी पलट गई। हादसे में तीन लोगों की मौत और छह लोगों के घायल होने की खबर है। हमीरपुर में भी कोहरे के कारण हुई एक मार्ग दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई जबकि छह घायल हो गए।

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नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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