प्रादेशिक
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रों ने सभागार में लगाई आग, सीएम ने मांगी रिपोर्ट
इलाहाबाद (यूपी)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में कुछ उग्र छात्रों ने विधि संकाय के सभागार को आग के हवाले कर दिया। आगजनी से करीब 50 लाख रुपये के नुकसान होने अनुमान बताया गया है।
घटना की जानकारी मिलते ही अधिकारी मौके पर पहुंच गए और तुरंत पुलिस और प्रशासन को खबर दी।
विश्वविद्यालय के विधि विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर आर.के. चौबे ने शनिवार को बताया कि शुक्रवार को विश्वविद्यालय में पीछे से लागू धारा 144 के उल्लंघन करते हुए एक बैठक में व्यवधान पैदा करने पर पुलिस ने चार छात्रों को हिरासत में ले लिया था। छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में छात्रों ने शनिवार को विधि संकाय के सभागार को आग के हवाले कर दिया।
उन्होंने बताया कि उग्र छात्रों ने पीछे की खिडक़ी का शीशा तोडक़र पेट्रोल डाला और आग लगा दी। इस घटना में दस में चार एसी पूरी तरह से जल गए। कुर्सी और महंगे सोफे भी जलकर राख हो गए।
प्रोफेसर चौबे ने बताया कि विधि संकाय में गार्ड की ड्यूटी थी, लेकिन उसे भी आग की जानकारी नहीं हो सकी। शायद हर तरफ शीशा बंद होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई होगी या फिर गार्ड रात में सो गया होगा। सुबह धुआं देखकर पुलिस को सूचना दी। दमकलकर्मियों को बुलाया गया, लेकिन तब तक सब कुछ नष्ट हो चुका था।
पुलिस का अनुमान है कि शनिवार तडक़े उग्र छात्रों ने आगजनी की। प्रो. चौबे ने बताया कि वर्ष 2002 में यह सभागार बना था। 150 लोगों के बैठने की क्षमता वाले इस ऑडिटोयिरम में बड़े स्तर पर सेमिनार के आयोजन होते रहे हैं।
सीएम योगी ने मांगी रिपोर्ट
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की घटना का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह से संपूर्ण घटनाक्रम की रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने यह निर्देश भी दिए हैं कि विश्वविद्यालय के छात्रों की समस्याओं के समाधान के लिए कुलपति के साथ समीक्षा करते हुए उनका त्वरित निस्तारण कराया जाए।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
-
लाइफ स्टाइल2 days ago
पोषक तत्वों से भरपूर चुकंदर इन लोगों के लिए है नुकसानदेह, जानें कैसे
-
अन्तर्राष्ट्रीय2 days ago
केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिकी की टिप्पणी से भारत नाराज, कहा- ये हमारा आंतरिक मामला
-
नेशनल1 day ago
शिवसेना-शिंदे गुट के स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी, मोदी-शाह समेत कई बड़े नाम शामिल
-
नेशनल1 day ago
सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज
-
नेशनल2 days ago
बीजेपी ने तीन राज्यों के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट की जारी, PM मोदी, शाह और योगी के नाम शामिल
-
नेशनल1 day ago
ईडी ने सुनीता केजरीवाल के रिश्तेदार के घर पर मारा छापा, जानें क्या है मामला
-
अन्तर्राष्ट्रीय2 days ago
पाकिस्तान में अपने नागरिकों की मौत से भड़का चीन, घटना की गहन जांच की मांग की
-
नेशनल2 days ago
ईडी की कस्टडी में केजरीवाल की तबीयत बिगड़ी, शुगल लेवल 46 तक गिरा