Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

आर्थिक बंद को लेकर रिजिजू मणिपुर के मुख्यमंत्री से मिले

Published

on

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री, किरण रिजिजू, ओकराम इबोबी सिंह, मुख्यमंत्री, आर्थिक बंद, गृह मंत्रालय

Loading

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री, किरण रिजिजू, ओकराम इबोबी सिंह, मुख्यमंत्री, आर्थिक बंद, गृह मंत्रालयइंफाल | नगा संगठनों द्वारा आर्थिक बंद को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने शुक्रवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह से मुलाकात की और कहा कि राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए केंद्र सरकार सभी तरह की सहायता उपलब्ध कराएगी। नगाओं द्वारा आर्थिक बंद के मद्देनजर कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ रिजिजू ने राज्य का दौरा किया। ये लोग नगा इलाकों से काट कर नए जिले बनाने का विरोध कर रहे हैं।

बैठक के बाद रिजिजू ने संवाददाताओं से कहा, “मैं इंफाल यह देखने आया हूं कि वर्तमान परिस्थिति में राज्य सरकार को किस तरह की सहायता दी जा सकती है। संघीय संरचना के तहत कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है। फिर भी, वृहत जनहित में केंद्र सभी तरह की सहायता उपलब्ध कराने को तैयार है।”

उन्होंने कहा, “आर्थिक बंदी के लिए नगाओं ने दो राष्ट्रीय राजमार्गो- एनएच 2 और एनएच 37 को निशाना बनाए जो मणिपुर की जीवन रेखाएं हैं। ये दोनों मार्ग खुले रहना चाहिए ताकि किसी को परेशानी नहीं हो।”

अर्ध सैनिक बलों की 150 कंपनियां मणिपुर में भेजे जाने की बात कहते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के निवेदन पर सात अतिरिक्त कंपनियां यहां पहुंचने वाली हैं।

राज्य में आर्थिक बंद 52वें दिन में प्रवेश कर गया है। यह बंद तब शुरू हुआ था जब मणिपुर सरकार जिरिबम और सदर पहाड़ी को पूर्ण जिला बनाने की योजना बना रही थी।

बंद और विरोध प्रदर्शन तब तेज हो गए जब सरकार ने आन्दोलन को नजरअंदाज किया और जिरिबम को पूर्ण जिला बनाने की घोषणा कर दी। राज्य सरकार ने कंगपोकपी, तेंगोउपल, फारजोल, काकचिंग, नोनी और कमजोंगिन को भी नए जिले के रूप में निर्माण कर दिया।

हालांकि नगाओं के कड़े विरोध के कारण सदर पहाड़ी को जिला बनाने में सरकार विफल रही। रिजिजू ने कहा कि आर्थिक बंद स्वीकार्य नहीं है और आवश्यक वस्तुएं बेरोटोक उपलब्ध होनी चाहिए।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

Published

on

Loading

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

Continue Reading

Trending