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प्रादेशिक

आर्थिक एवं वित्तीणय जागरूकता के लिए काम करती है एवोक इण्डिया

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एवोक इण्डिया फाउण्डेशन संगठन, आर्थिक एवं वित्तीिय जागरूकता, आइआइएम

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लखनऊ। एवोक इण्डिया फाउण्डेशन संगठन के प्रथम आर्थिक शिक्षा फोरम ने लखनऊ के गोमती नगर में सलाहकार बोर्ड की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की आधारभूत कार्यसूची के अन्तर्गत समाज की वित्तीय शिक्षा एवं समाज पर उसके प्रभाव के आंकलन का ज्ञान दिया गया तथा उनका प्रमुख केन्द्र समाज मे निचले स्तर पर पड़ने वाले प्रभाव पर था। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रोफेसर चक्रवर्ती, जीबी पटनायक तथा अन्य गणमान्‍य जनों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

एवोक इण्डिया फाउण्डेशन संगठन, आर्थिक एवं वित्तीिय जागरूकता,  आइआइएम

आइआइएम के प्रोफेसर चक्रवर्ती ने समाज की वित्तीय साक्षरता की आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। उनके द्वारा एक ऐसी योजना प्रकाशित की गई जिसके अन्तर्गत समाज का प्रत्येक वर्ग लाभान्वित हो सके।

उनके अनुसार यह वित्तीय साक्षरता योजना समाज के मध्यम तथा निम्नवर्ग के लिए अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि उच्चवर्ग तो आर्थिक हानि सहन कर सकता है परन्तु निम्न वर्गीय निरक्षर वर्ग के लिए यह चिन्ताजनक है।

उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के हर पड़ाव पर बचत और निवेश की आदतों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा-प्रधानमंत्री जन धन योजना, बीमा सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना इत्यादि वित्तीय समावेशों में ऐतिहासिक कदम है।

इन सबके पूर्ण लाभ हेतु एक बुनियादी वित्तीय साक्षरता का विकास और उसका क्रियान्वयन अति आवश्यक है। समाज के हर व्यक्ति को आर्थिक रुप से साक्षर बनाने हेतु प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

समापन टिप्पणी में समाज के वित्तीय सशक्तिकरण के लिए नेतृत्व करने पर जोर दिया गया। वर्ष 2017, के लिए पंचसूची कार्यान्वयन योजना बनाई गई जिसमें-

  1. कार्यान्वयन साक्षरता को विभिन्न स्तरों पर वित्तीय साक्षरता के साथ समायोजित करना।
  2. एक वित्तीय साक्षरता कोन्वक्लेव 1000 शहरी या ग्रामीण गरीबों के लिए एक तिमाही में छूने के परियोजना
  3. गुणात्मक और मात्रात्मक प्रयासों के प्रभावों का मूल्यांकन
  4. स्नातक स्तर युवाओं की वित्तीय शिक्षा पर व अनिवार्य कौशल कार्य पर जोर देना।

 

इस कार्यक्रम 2017-18 के गतिविधि के अन्तर्गत एनजीओ द्वारा मुख्य रुप से शहरी तथा ग्रामीण तबके के लोगो में वित्तीय जागरुकता प्रदान करना उनका मूल उद्देश्य था। बोर्ड के चेयरमैन प्रोफेसर एस. चक्रवर्ती जो कि आईआईएम लखनऊ के डीन रह चुके है उन्होने एक बुद्धिशीलता अधिवेशन आयोजित किया।

कार्यक्रम में जीबी पटनायक (पूर्व प्रशासानिक अधिकारी) वीपी साही, (एमएटी बिजनेस स्कूल के भूतपूर्व निर्देशक). श्रीमती अपर्णा अवस्थी (डीजीएम एसबीआई), डॉ0 सुभाष चन्द्रा (सिटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन), एसके गर्ग एल्डिको हाउसिग के चेयरमैन, वरुण विद्यार्थी (मानवोदय के संस्थापक श्री ब्योमकेश मेधा फाउण्डेशन के संस्थापक, कर्नल एसएस राय, प्रमिल द्विवेदी, डा. दीप्ति द्विवेदी एवं अनिल तिवारी आदि प्रख्यात हस्तियों ने अपनी सहभागिता प्रदान की।

‘एवोक इण्डिया फाउण्डेशन’ एक ऐसी नागरिक सामाजिक संस्था है जो निरन्तर वित्तीय समावेशन, वित्तीय साक्षरता तथा वित्तीय जागरुकता के विषय में कार्य करती है।

यह संस्था विद्यालय, कॉलेज, समाज, सरकारी तथा अर्द्धसरकारी कार्यालयों तथा व्यक्तिगत रुप से लोगों को आर्थिक व वित्तीय जागरुकता प्रदान करती है। संस्था लोगों को धन प्रबंधन के विषय में समझाती है तथा उचित निर्णय लेने में मदद करती है।

 

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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