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मुख्य समाचार

09 दिसम्बर 2015 का राशिफल

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मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्‍या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन

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मेष- दिन की शुरुआत आनंद-प्रमोद से होगी। शारीरिक और मानसिक आरोग्य अच्छा रहेगा। मध्याहन के बाद नए कार्य का प्रारंभ न करें। वाणी और व्यवहार पर संयम बरतें।

वृष- व्यवसायियों को यश और सफलता मिलेगी। सहकर्मियों का पूरा सहयोग मिलेगा। आर्थिक लाभ भी होगा। प्रियपात्र मन को प्रफुल्लित करेंगे। मान-सम्मान मिलेगा।

मिथुन- आपका दिन बौद्धिक कार्य और चर्चा में बीतेगा। आप अपनी कल्पनाशक्ति और सृजनशक्ति को कार्य में जोड़ेंगे। व्यवसाय में लाभ की संभावना है।

कर्क- हताशा होने की वजह से मानसिक और शारीरिक रूप से आप अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। प्रवास के लिए आज का दिन अनुकूल नहीं है। मित्रों का सहयोग मिलेगा।

सिंह- आज छोटा प्रवास होगा। विदेश में रहने वालों के अच्छे समाचार मिलेंगे। धन लाभ होगा। नए कार्य के लिए समय अच्छा है। निवेशकों के लिए दिन लाभदायी है।

कन्‍या– मन की द्विधायुक्त स्थिति को ध्यान में रखकर नए कार्य का प्रारंभ न करें। वाणी पर संयम ना रहा तो मनदुःख के प्रसंग और परिजनों के साथ वाद-विवाद हो सकता है।

तुला- गणेशजी कहते हैं कि आज शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे। वैचारिक दृढ़ता के कारण कार्य संपन्न करना सरल होगा। परिजनों के साथ वाद-विवाद टालें।

वृश्चिक- आपका उग्र और असंयमित व्यवहार आपको समस्या में डाल सकता है। संबंधियों के साथ सहसा कोई अनिष्ट घटना घट सकती है। आज आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

धनु- व्यवसायिक क्षेत्र में लाभदायी दिन है। लेकिन ऊंचे स्वर में बोलने से पहले अपनी गरिमा पर ध्यान दें और वाणी पर संयम रखें। कार्य में पदोन्नति होगी।

मकर- आज का दिन गृहस्थ जीवन की दृष्टि से आनंदमय रहेगा। परिजनों के साथ आनंद का वातावरण बना रहेगा। आय में वृद्धि का योग है। व्यापार से लाभ होगा।

कुभ- आज के दिन बौद्धिक कार्य और लेखन-प्रवृत्ति में आप उलझे रहेंगे। नए कार्य का प्रारंभ कर सकते हैं। लंबे प्रवास या धार्मिक यात्रा का आयोजन होने की संभावना है।

मीन- गणेशजी आज आपको वाणी और वर्तन को संयमित रखने की सलाह देते हैं। हितशत्रुओं से सावधान रहें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वाद-विवाद में न पड़ने की सलाह है।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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