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प्रादेशिक

आगरा बवाल में 500 के खिलाफ मुकदमा, 9 गिरफ्तार

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आगरा। फतेहपुर सीकरी और सदर थाने में शनिवार रात हुए बवाल के मामले में पुलिस ने 500 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इनमें 30 हिंदूवादियों को नामजद किया गया है। नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर हुई है।

एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने बताया, बवालियों पर केस दर्ज किया गया है। अज्ञात को चिन्हित किया जा रहा है। गिरफ्तार 9 लोगों को जेल भेजा जा रहा है। 30 नामजद और 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ लूट, डकैती, आगजनी और सरकारी कार्य में बाधा डालने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

बताया जा रहा है कि रात को ही घटना की सूचना सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा दी गई थी। उन्होंने निर्देश दिया कि कानून अपना काम करेगा। स्थानीय भाजपा नेताओं ने लखनऊ में बात करने की कोशिश की, लेकिन सीएम ने किसी की नहीं सुनी। आईजी सुजीत पांडे ने बताया, ‘इस घटना में किसी भी प्रकार से बवालियों को बख्शा नहीं जाएगा। जो भी दोषी होंगे, कार्रवाई की जाएगी।’

डीआईजी महेश मिश्रा ने बताया, ‘कोई परेशानी थी तो वे अफसरों से शि‍कायत करते। कल जो किया गया वह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर, भाजपा के महानगर अध्यक्ष विजय शिवहरे का कहना है कि कानून को हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। सीएम के निर्देश पर बवालियों पर कार्रवाई की गई है।

उधर, विधायक चौधरी उदयभान सिंह का कहना है कि पुलिस चाहती तो बवाल नहीं होता। एसएसपी और डीएम से बात करके वह फतेहपुर सीकरी लौट आए थे, लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार लोगों से मारपीट की गई। बवाल करने वाले भाजपा के नहीं थे। फतेहपुर सीकरी थाने में नामजद हिंदूवादी नेताओं में बजरंग दल नेता जगमोहन चाहर, विहिप नेता सागर चौधरी, भोलू, भाजपा नेता उदय सहित 250 से ज्यादा अज्ञात लोगों के खि‍लाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

क्या है पूरा मामला

20 अप्रैल को तेहरा जौताना इलाके में सब्जी व्यापारी फूल कुरैशी और रिजवान के साथ कुछ युवकों ने मारपीट की थी। इस मामले में पुलिस ने ओमी टीकरी, संघ प्रचारक विक्रांत फौजदार, मूला चौधरी, विष्णु, पिंटू, रवि, प्रह्लाद सहित नौ के खिलाफ लूट और जानलेवा हमले के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। इसे लेकर हिंदू संगठनों के लोगों में आक्रोश है। इन लोगों का कहना है कि विक्रांत घटना के समय मौके पर नहीं थे। पुलिस ने गलत मुकदमा दर्ज किया है। 22 अप्रैल की सुबह 11 बजे ही विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव कर लिया। कार्यकर्ताओं की मांग थी कि थाना फतेहपुर सीकरी के इंस्पेक्टर विनोद कुमार यादव को हटाया जाए, कार्यकर्ता और पदाधिकारियों पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए और दूसरे पक्ष पर मुकदमा दर्ज करने किया जाए।

सीओ को मारा थप्पड़

कार्यकर्ताओं ने कुछ पुलिसवालों के साथ हाथापाई की। आरोप है कि विश्व हिंदू परिषद के प्रांत विद्यार्थी प्रमुख जगमोहन चाहर ने सीओ को थप्पड़ जड़ दिया। इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और वहां भगदड़ मच गई। बाद में लोगों ने थाने पर पथराव कर दिया। पुलिस ने भी मोर्चा संभाल लिया। दोनों ओर से तकरीबन आधे घंटे तक ईंट-पत्थर फेंके गए। इस दौरान कई लोगों को चोटें आईं। पुलिस ने मौके से छह कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।

प्रदर्शन के बाद बढ़ाई गई फोर्स

हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को पुलिस शहर के थाना सदर बाजार में ले आई थी। रात में हिंदू संगठनों और भाजपा नेताओं को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली वे सदर थाने पर पहुंच गए और हंगामा कर दिया। वे कार्यकर्ताओं को छोड़ने का दबाव बना रहे थे। उनके प्रदर्शन को देखते हुए सदर थाने पर अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए। देर रात तक हंगामा चलता रहा। भाजपा के कई नेता भी वहां पहुंच गए। लोगों को उग्र होते देख पुलिस ने यहां भी लाठीचार्ज किया। इससे आक्रोशित लोगों ने पुलिस पर पथराव किया। एक दारोगा संतोष कुमार की बाइक में आग लगा दी और उसकी सर्विस रिवाल्वर भी छीन ले गए।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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