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हिलेरी ने पहली अमेरिकी प्रेसीडेंशियल डिबेट में ट्रंप को हराया

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trump-hillaryन्यूयॉर्क। अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया के तहत डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने इससे संबंधित पहली बहस जीत ली है। सीएनएन/ओआरसी पोल के मुताबिक, न्यूयार्क के होफस्ट्रा विश्वविद्यालय में सोमवार रात हुई बहस में दर्शकों ने हिलेरी को 62 फीसदी, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप को 27 फीसदी मत दिया।

दोनों के बीच सोमवार रात को अर्थव्यवस्था, करों में कटौती, इस्लामिक स्टेट (आईएस), नस्लवाद जैसे मुद्दों पर बहस हुई। एनबीसी न्यूज के लेस्टर होल्ट ने होस्फट्रा विश्वविद्यालय में इस 90 मिनट की बहस की मेजबानी की। हिलेरी ने ट्रंप से यह कहते हुए बहस की शुरुआत की कि आप कैसे हैं डोनाल्ड?

पहला सवाल अमेरिकी नागरिकों की जेब में पैसा वापस आने और रोजगारों के सृजन का था, जिसके जवाब में हिलेरी ने सभी के लिए अर्थव्यवस्था पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वह पुरुषों व महिलाओं के लिए समान वेतन के लिए काम करेंगी।

हिलेरी और ट्रंप के बीच बहस काफी तीखी रही। हिलेरी ने ट्रंप पर 2008 में आर्थिक संकट से लाभ भुनाने का आरोप लगाया। वहीं, ट्रंप ने इसे नकारते हुए कारोबार कहा। ट्रंप ने कहा कि चीन और मेक्सिको अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां और कारोबार हड़प रहे हैं। उन्होंने कहा, हमें हमारे रोजगारों को छिने जाने से रोकना होगा। कंपनियों को अमेरिका छोडक़र जाने से रोकना होगा।

यह बहस उस वक्त तीखे मोड़ पर पहुंच गई जब हिलेरी ने ट्रंप से पूछा कि वह अपनी आयकर की जानकारियां साझा क्यों नहीं करते?
हिलेरी ने कहा, हो सकता है कि वह उतने अमीर नहीं हों, जितना वह कहते हैं। हो सकता है कि वह उतना दान-पुण्य नहीं करते हों, जितना वह दावा करते हैं। या फिर यह हो सकता है कि वह अमेरिकी नागरिकों के समक्ष यह प्रकट नहीं करना चाहते हों कि उन्होंने संघीय करों का भुगतान नहीं किया है।

इस पर ट्रंप ने कहा कि जब हिलेरी अपने निजी ईमेल सर्वर से हटाए गए 33,000 ईमेल की जानकारियां सार्वजनिक कर देंगी तो वह भी अपने आयकर की जानकारियां साझा कर देंगे। ये ईमेल 2009 से 2013 के बीच उनके विदेश मंत्री रहते हुए किए गए थे।

बहस के दौरन हिलेरी ने हालांकि माना कि निजी सर्वर का इस्तेमाल करना गलती थी। नस्लीय मुद्दों और अपराधों पर चर्चा के दौरान हिलेरी ने कहा कि पुलिस का स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम करना जरूरी है, ताकि उनमें विश्वास बहाली हो सके। वहीं, ट्रंप ने हिलेरी पर इस्लामिक स्टेट (आईएस) को खड़ा करने का आरोप लगाया।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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