प्रादेशिक
अब मायावती की फिसली जुबान, बोलीं- अमित शाह से बड़ा कोई कसाब नहीं
अंबेडकरनगर। उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह के ‘कसाब’ वाले बयान को घटिया करार देते हुए कहा कि आज देश में अमित शाह से बड़ा कोई कसाब नहीं है। गुजरात इसका उदाहरण है।
जिले के सबसे बड़े शिव बाबा मैदान में खचाखच भरी भीड़ को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि आरएसएस के एजेंडे के तहत सपा से अंदरूनी साठ-गांठ कर भाजपा दलितों-पिछड़ों के आरक्षण को समाप्त करने का कुचक्र कर रही है। ऐसे में दोनों दलों को नकारना होगा।
गोरखपुर रैली में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह के ‘कसाब’ वाले बयान को घटिया करार देते हुए मायावती ने कहा कि आज देश में अमित शाह से बड़ा कोई कसाब नहीं है। गुजरात इसका उदाहरण है।
पांचवें चरण के लिए 27 फरवरी को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जिले की पांचों विधानसभा सीट से बसपा प्रत्याशियों के पक्ष में आयोजित चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा, “शिव बाबा मैदान की यह भीड़ इस बात की जमानत है कि यहां से सभी प्रत्याशियों की जीत के साथ सूबे में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार को अब कोई रोक नहीं सकता।”
दिन में करीब 1:59 बजे मंच पर पहुंचने के बाद दो मिनट तक पहले उन्होंने भीड़ का अभिवादन स्वीकार किया, फिर जब बोलना शुरू किया तो भीड़ का उत्साह बढ़ता गया। करीब 52 मिनट के अपने संबोधन में मायावती ने केंद्र की मोदी और राज्य की अखिलेश सरकार को निशाने पर रखा।
उन्होंने कहा कि दोनों दलों के लोगों ने देश को लूट लिया। काला धन और नोट बंदी को लेकर जहां मोदी को कष्टकारक प्रधानमंत्री बताया। वहीं अखिलेश को कानून व्यवस्था न संभाल पाने वाला मुख्यमंत्री बताते हुए दोनों को सत्ता से उतारने की अपील की। रैली का संचालन बसपा प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर ने किया। मंच पर सभी पांचों प्रत्याशियों सहित कई बड़े नेता मौजूद रहे।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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